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नई दिल्ली:
मक्का मदीना के बाद ईरान के मशहद शहर में ईमाम रज़ा (Imam Reza) का श्राइन दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद है. सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव जी भी यहां आ चुके हैं. ये तकरीबन 2.5 लाख वर्ग मीटर से भी ज्यादा की जगह पर है. जहां तकरबीन हर रोज़ 10 हज़ार श्रृद्धालूंयों को खाना खिलाया जाता है. साथ ही यहां शादी के लिए हॉल, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम आदि भी बना हुआ है. वहीं मस्जिद अल अक्सा जिसे बैतुल मुक्दस भी कहते हैं उसका हुबहु डोम ऑफ रॉक भी बनाया हुआ है.
2.5 लाख स्क्वायर मीटर में बना ये रोज़ा मोहम्मद साहब की नस्ल से 8वें इमाम अली रज़ा का है. जहां उनकी कब्र है . जिसके दर्शन करने हिंदुस्तान समेत पूरी दुनिया से तकरीबन 3 करोड़ लोग हर साल उनकी कब्र पर आते हैं. यहां आपको फ्री में खाना, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम, ऑडिटोरियम आदि हर चीज़ देखने को मिलेगी. साथ ही यहां लोग शादी करने भी आते हैं. वहीं यहां खुद सिख समुदाय के संस्थापक गुरू नानक देव जी भी आए थे.
ये श्राइन जितना उपर से बड़ा है. उतना ही जमीन के अंदर से भी बहुत बड़ा बना है. जिसमें तकरीबन 3 मज़िल नीचे तक बेसमेंट तक बना है. जहां श्रृदालू इबादत और आराम करते है.यहां खुबसुरत कालीन, छत पर लगे झूमर ,खाना पीना, ये सब आम जनता के पैसे से ही होता है.. कोई सरकारी खर्च से नहीं. इमाम रज़ा श्राइन की कमेटी के सदस्य हुसैन यज़दीनिजाद कहते हैं कि यहां नॉन मुस्लिम लोग भी आ सकते हैं.. यहां उनके लिए भी इंतेज़ाम है.. साथ ही जिन्हें फारसी नहीं आती. उनके लिए हमने अलग अलग भाषा में ट्रांस्लेटर रखे हुए हैं. जो उन्हें यहां के बारे में बताते हैं.
20,000 खादिम करते हैं हर रोज़ खिदमत
इमाम ए रज़ा के श्राइन की देखरेख अस्तान ए कुद्स रज़वी करती है. ये सबसे पुरानी कमेटी है जो ईरान में अपनी सेवाएं दे रही है. इसमें तकरीबन 20 हज़ार खादिम हैं जो फ्री सर्विस देते हैं. जिनमें कोई बिज़नेसमेन होता है. तो कोई बैंक का अधिकारी. तो कोई कॉलेज का प्रोफेसर आदि. यहां पर खिदमत करने के लिए अप्लाई करना पड़ता है और सेलेक्शन होने पर ही खिदमत करने का मौका मिल पाता है.
अल अक्सा मस्जिद की याद में बनाया गया है डोम ऑफ़ द रॉक की कॉपी
वहीं मस्जिद अल अक्सा में मौजूद डोम ऑफ़ द रॉक की कॉपी भी इमाम रज़ा श्राइन में बनाई गई है.. ये बिल्कलु यरूशलम में मौजूद डोम ऑफ द रॉक की कॉपी है.. जिसमें आप पहचान ही ना सकेंगे की ये यरूशलम में है या ईरान के मशहद में..यहां ईरानी लोग फिलिस्तीन के लोगों के साथ खड़े होकर शांतिपुर्वक प्रदर्शन करते हैं.. साथ ही पेंटिंग के ज़रिए फिलिस्तीन के लोगों को याद किया जाता है.
लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम, अस्पताल, म्यूज़ियम सब मिलेगा देखने को
इमाम ए रज़ा के श्राइन में आपको इतनी बड़ी लाइब्रेरी मिलेगी जिसमें हर भाषा, देश, इतिहास आदि की किताबें मौजूद होंगी.. इसमें आप यहां किताबे पढ़ भी सकते हैं. और साथ ही आप डिजिटली भी किताबें पढ़ सकते हैं.. वहीं 300 साल पहले किस तरह की यहां ज़री थी.. किस तरह की सोने की परत के दरवाज़े आदि थे वो भी म्यूज़ियम में रखे गये हैं.. साथ ही रज़वी अस्पताल भी है .. जहां हर डिपार्टमेंट बनाया गया है.. जिसमें दूसरे देशों से 50 प्रतिशत तक कम रेट में इलाज किया जाता है.. जहां कैंसर, कार्डियो, पेडियेट्रिक, आईसीयू आदि सब की सुविधा है..
कौन थे इमाम रज़ा अस
पैगम्बर मोहम्मद साहब की बेटी फातिमा ज़हरा और हज़रत अली की नस्ल से इमाम अली रज़ा है.. जिन्हें शिया अपना 8वां इमाम भी मानते हैं.. शिया समुदाय के लोग पैगम्बर के बाद 12 इमामों को मानते हैं.. जिसमें पहले इमाम हजरत अली है. और 12वें इमाम हज़रत मेहदी को मानते हैं.. जो उनके अनुसार अभी गैब में हैं.. और प्रलय से पहले दुनिया में आएंगे.. ईरान में 8वें इमाम अली रज़ा ही है जिनकी कब्र यहां है.. और बाकी के 10 इमाम की कब्र या तो सउदी अरब में है या इराक में.. इरान में इमाम रज़ा की कब्र होने की वजह से इरान के लोग बहुत श्रृद्धा से इन्हें मानते हैं.. वहीं इमाम रज़ा की बहन फातिमा मासूमा ए कूम का श्राइन भी ईरान के कूम शहर में है.. वहां भी श्रृद्धालूं दर्शन करने जाते हैं..
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