Suzuki Alto के Tire कब बदलने चाहिए? ये 1 निशान दिखते ही हो जाएं सावधान, वरना होगा बड़ा खर्चा

Published On: August 2, 2025
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Suzuki Alto

Suzuki Alto भारत की सबसे पसंदीदा कारों में से एक है। इसकी कम मेंटेनेंस कॉस्ट इसे खास बनाती है, लेकिन टायरों के मामले में लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है। ज़्यादातर लोग कन्फ्यूज रहते हैं कि टायर कब बदलवाने चाहिए। चलिए, आज हम आपको उस एक खास निशान के बारे में बताते हैं जिसे देखते ही आपको तुरंत टायर बदलवा लेने चाहिए।

Suzuki Alto में वो 1 निशान जो है खतरे की घंटी

हर टायर के अंदरूनी खांचों (ग्रूव्स) में छोटे-छोटे रबर के उभार होते हैं, जिन्हें ट्रेड वियर इंडिकेटर (TWI) कहा जाता है। ये आमतौर पर 1.6 mm की ऊंचाई पर होते हैं। जब आपके टायर की ऊपरी सतह घिसकर इन इंडिकेटर्स के बराबर आ जाए, तो समझ लीजिए कि टायर अपनी जिंदगी पूरी कर चुका है। यह एक कानूनी और सुरक्षा मानक है। इस निशान को अनदेखा करना मतलब सीधे-सीधे खतरे को न्योता देना है।

Suzuki Alto में किलोमीटर नहीं, टायर की कंडीशन देखें

अक्सर लोग सोचते हैं कि टायर 40,000 या 50,000 किलोमीटर चलने पर ही बदले जाते हैं। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। टायर की लाइफ आपकी ड्राइविंग, सड़कों की हालत और मेंटेनेंस पर निर्भर करती है।

  • खराब सड़कें: उबड़-खाबड़ रास्तों पर टायर जल्दी घिसते हैं।
  • ड्राइविंग स्टाइल: तेज रफ्तार में ब्रेक लगाने और मोड़ने से टायर पर दबाव पड़ता है।
  • अलाइनमेंट: व्हील अलाइनमेंट सही न होने पर टायर असमान रूप से घिसते हैं।

इसलिए किलोमीटर गिनने से बेहतर है कि आप हर कुछ हफ्तों में TWI की जांच करें।

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उम्र और दरारें भी हैं जरूरी संकेत

टायर की भी एक एक्सपायरी डेट होती है, भले ही गाड़ी ज्यादा न चली हो। समय के साथ टायर का रबर कठोर हो जाता है और उसमें छोटी-छोटी दरारें दिखने लगती हैं।

  • मैन्युफैक्चरिंग डेट: हर टायर पर चार अंकों का कोड होता है (जैसे ‘2524’), जिसका मतलब है कि टायर 2024 के 25वें हफ्ते में बना है।
  • खतरनाक दरारें: अगर टायर की साइड की दीवारों पर जाले जैसी दरारें दिख रही हैं, तो यह एक बड़ा खतरा है। ऐसा टायर कभी भी फट सकता है।

आमतौर पर, एक्सपर्ट्स 5-6 साल से ज्यादा पुराने टायरों को बदलने की सलाह देते हैं, चाहे वो कितने भी कम चले हों।

खराब टायरों के बड़े नुकसान

घिसे हुए टायर इस्तेमाल करने से सिर्फ पंचर का खतरा नहीं बढ़ता, बल्कि इसके कई और गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

  • ब्रेकिंग पर असर: गाड़ी का ब्रेकिंग डिस्टेंस बढ़ जाता है।
  • गीली सड़कों पर फिसलन: बारिश में गाड़ी के फिसलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  • माइलेज में कमी: इंजन को सड़क पर पकड़ बनाने के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ता है, जिससे माइलेज घटता है।
  • सस्पेंशन पर असर: खराब टायर गाड़ी के सस्पेंशन को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

निष्कर्ष

अगली बार जब आप अपनी ऑल्टो को देखें, तो सिर्फ उसकी चमक पर ध्यान न दें। कुछ मिनट निकालकर उसके टायरों की जांच करें। किलोमीटर का इंतजार करने के बजाय ट्रेड वियर इंडिकेटर (TWI) पर नजर रखें। यह एक छोटा सा कदम आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रखेगा और हजारों रुपये के अचानक होने वाले खर्चे से भी बचाएगा।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट और आम स्रोतों से ली गई है। कीमतें और फीचर्स समय के साथ बदल सकते हैं। इसलिए कुछ भी खरीदने से पहले आधिकारिक वेबसाइट या डीलर से जानकारी जरूर जांच लें।

Rahul Mehta

राहुल मेहता एक अनुभवी ऑटोमोटिव जर्नलिस्ट और कार एक्सपर्ट हैं, जिनका ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में 12+ सालों का अनुभव है। उन्होंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और बाद में टाटा मोटर्स व महिंद्रा जैसी अग्रणी कंपनियों में काम किया। कार डिजाइन, इंजन परफॉर्मेंस और इंडियन रोड कंडीशन के अनुसार गाड़ियों की समीक्षा में उनकी गहरी समझ EEAT के सभी तत्वों को दर्शाती है। स्थान: नई दिल्ली, भारत भाषा: हिंदी, अंग्रेज़ी योग्यता: B.Tech in Mechanical Engineering – DTU अनुभव: 12+ साल (टाटा मोटर्स, महिंद्रा R&D, ऑटोब्लॉग इंडिया)