चित्रकूट में प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी ऐतिहासिक गधों का मेला लगा है। जिसमें 50 हजार से 12 लाख तक के गधे बिके। मेले में यूपी, एमपी व छत्तीसगढ़ के व्यापारी गधे बेचने पहुंचे। दिवाली के अवसर पर मंदाकिनी नदी के तट पर विशाल गधा मेला का आयोजन किया गया। शहरों से दूर गांव-देहात के इलाकों में ‘पशु मेलों’ का कल्चर आज भी जिंदा है। मंदाकनी नदी के तट पर लगने वाले इस ऐतिहासिक मेले का विशेष महत्व है। इस बार इस मेले में सबसे खास ‘गधा’ हो गया है। सुनकर अजीब लगा होगा.. दरअसल, बात ही कुछ ऐसी है। इस मेले में इस बार 15 हजार अलग-अलग नस्ल के गधे लाए गए हैं। जो विशेष आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। गधों की बोली लाखों तक लगाई जा रही है। यही वजह है कि गधा इस मेले में सबसे खास हो गया है। इस मेले में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के विभिन्न जिलों के व्यापारी और जरूरतमंद गधों की खरीद-बिक्री करने आते हैं। जहां इन गधों के कद काठी के हिसाब से उनकी बोली 5 हजार से शुरू होकर लाखों तक पहुंच जाती है।यह मेला धार्मिक नगरी चित्रकूट में मंदाकिनी के तट पर लगता है। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में दिवाली के दौरान मंदाकिनी तट पर गधों के मेले में पांच दिनों तक व्यापारियों और खरीदारों की भीड़ रहती है। पांच दिनों तक गधों की खरीद-बिक्री से करोड़ों का व्यापार होता है।
0 683 1 minute read