विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वन धन विकास केंद्रों ने वृक्षारोपण अभियान शुरू किया
आदिवासियों का जीवन प्रकृति के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। जनजातीय लोग सदियों से प्रकृति की गोद में रह रहे हैं और उनका अस्तित्व तथा जीविका प्रकृति एवं इसकी उदारता पर निर्भर है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि, पर्यावरण हमारे आदिवासियों की पहचान का एक प्रमुख हिस्सा है। 5 जून, 2021 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, देश के कई हिस्सों में वन धन विकास केंद्रों के आदिवासी सदस्यों ने अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने का अभियान शुरू किया है। ऐसा ही एक उदाहरण महाराष्ट्र राज्य से सामने आया है, जहां वन धन विकास केंद्र से संबधित आदिवासी एकात्मिक सामाजिक सामाजिक संस्था शाहपुर के जनजातीय सदस्यों ने मोखवाने और खारीद गांवों में इस अभियान के तहत 10,000 गिलोय के पौधे लगाए हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण की अध्यक्षता में ट्राइफेड ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया था। ट्राइफेड के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों ने इसमें भाग लिया। यह एक बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम था, जिसमें उपस्थित लोगों को जनजातियों तथा प्रकृति के बीच सहजता एवं घनिष्ठ संबंधों से अवगत कराया गया और लोगों को यह भी बताया गया कि प्रकृति को बनाए रखने तथा पर्यावरण के संरक्षण के लिए आदिवासियों की पहचान को सहेज कर रखना कितना आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण के लिए आदिवासी भाइयों व बहनों का सहयोग बहुत जरूरी है।
ट्राइफेड ने आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में इन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के वास्ते कई उत्कृष्ट पहल की हैं। ट्राइफेड द्वारा कार्यान्वित वन धन विकास योजना वन-आधारित जनजातियों के लिए स्थायी आजीविका के सृजन की सुविधा प्रदान की जाती है। यह वन धन केंद्रों की स्थापना करके लघु वन उत्पादों के मूल्यवर्धन, ब्रांडिंग तथा विपणन में सहायता प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस योजना का उद्देश्य आदिवासियों को उनके व्यवसाय का विस्तार करने में मदद करना और आय बढ़ाने के लिए वित्तीय पूंजी, प्रशिक्षण, सलाह आदि के संदर्भ में सहायता प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना है।
वन धन योजना, ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र’ और एमएफपी के वास्ते मूल्य श्रृंखला का विकास’ का एक विशेष घटक है, जो हाल ही में स्थानीय आदिवासियों के लिए रोजगार के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभर कर सामने आया है। यह आदिवासी उद्यमिता का एक आदर्श उदाहरण है और यह दर्शाता है कि किस प्रकार से यह क्लस्टर विकास एवं मूल्य संवर्धन सदस्यों को उच्च आय अर्जित करने में मदद कर सकता है।
एक विशिष्ट वन धन विकास केंद्र में 20 आदिवासी सदस्य शामिल होते हैं। 15 ऐसे वन धन विकास केंद्र मिलकर 1 वन धन विकास केंद्र क्लस्टर बनाते हैं। वन धन विकास केंद्र क्लस्टर 23 राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 6.67 लाख आदिवासी वन संग्रहकर्ताओं को बड़े पैमाने पर किफायत, आजीविका और बाजार-संबंधों के साथ-साथ उद्यमिता के अवसर प्रदान करते हैं। इस कार्यक्रम की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वन धन स्टार्ट-अप कार्यक्रम से अब तक 50 लाख आदिवासी लाभान्वित हो चुके हैं।
जनजातीय आबादी की आजीविका में सुधार और वंचितों एवं संकटग्रस्त आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाना ट्राइफेड का प्रमुख उद्देश्य रहा है। यह आशा की जाती है कि आने वाले दिनों में वन धन योजना पहल से सृजित होने वाली अधिक से अधिक सफलता की कहानियां सामने आएंगी, जो वोकल फॉर लोकल और एक आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देती हैं। ट्राइफेड की मदद से जनजातीय लोगों की आय तथा आजीविका का अनुकूलन होता है और अंत में उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
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