कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन पर चेकिंग करते पकडे गए 16 फर्जी रेलवे कर्मचारी, नौकरी दिलाने के नाम पर हुवे ठगी का शिकार, अनसुलझे है बड़े सवाल
कानपुर। कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन पर आज एक दो नही बल्कि 16 फर्जी रेलवे स्टाफ पकडे गए है। इस खबर को भले ही कोई कुछ भी दिखाते हुवे लिखे मगर कही न कही रेलवे की एक बड़ी चुक सामने निकल कर आई है। बेरोजगार युवको को सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग की हिम्मत भी ये घटना साफ़ ज़ाहिर करती है। कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन पर रेलवे में नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग ने बेरोजगार युवको से एक लाख से लेकर 15 लाख तक की ठगी करने के बाद उनको फर्जी परिचय पत्र और नियुक्ति प्रमाण पत्र थमा दिया और उनकी बकायदा ड्यूटी भी कानपूर सेन्ट्रल पर लगा दिया। इस कथित ड्यूटी को करते हुवे इन बेरोज़गार युवको को एक सप्ताह गुज़र गए और अब जाकर इसका खुलासा हुआ है।
घटना का खुलासा कुछ इस प्रकार हुआ कि बुधवार देर रात स्टेशन पर टिकट निरीक्षक सुनील पासवान ने चेकिंग के दौरान प्लेटफार्म नंबर दो-तीन पर दिनेश कुमार गौतम नाम के एक युवक को देखा। वह अपने गले में पहचान पत्र डालकर यात्रियों का टिकट चेक कर रहा था। सुनील ने उसे रोककर पूछा तो उसने खुद को स्टाफ बताया। सुनील इस बात पर संदेह हुआ कि उसने उसको कभी भी पहले स्टाफ में नहीं देखा था। इस सन्देह के आधार पर उसने दिनेश से पूछताछ करना शुरू कर दिया। जिसमे दिनेश ने बताया कि वह ट्रेनिंग कर रहा है। उसकी तरह कई और लोग भी सेंट्रल स्टेशन पर प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस पर उससे फोन कर साथियों को बुलाने के लिए कहा गया। दिनेश ने फोन लगाया, लेकिन एक घंटे बाद भी कोई नहीं आया तो सुनील उसे जीआरपी थाने ले आए।
पहले तो आम तौर पर एक बेटिकट फर्जी यात्री समझ कर जीआरपी ने मामले को हैडल करना शुरू किया मगर पूछताछ जैसे जैसे आगे बढ़ी तो जीआरपी को मामला संगीन समझ आने लगा और जीआरपी मामले के खुलासे हेतु तह तक जाने लगी। इसके खुलासे के लिए जीआरपी और आरपीएफ की चार टीमें बनाईं गईं, जिन्होंने एक-एक कर 16 लोगों को पकड़ा। इनके पास से रेलवे का फर्जी पहचान पत्र बरामद हुआ। पकड़े गए अनुज प्रताप सिंह और अभिषेक कुमार के पास से नियुक्त पत्र भी मिले, जो जांच में फर्जी निकले। पूरे मामले में सीआईटी स्टेशन से प्रयागराज मंडल के सीनियर डीसीएम अंशू पांडेय ने रिपोर्ट तलब की है।
गिरफ्तार युवको के नाम
गिरफ्तार युवको में दिनेश कुमार गौतम निवासी देहरादून थाना नेहरू कालोनी (टीसी), पवन गुप्ता निवासी पीरोड थाना सीसामऊ (पार्सल पोर्टर प्राइवेट) हाजिरी लेता था, शिव नारायण त्रिपाठी निवासी चौरिहन का पुरवा थाना जगतपुर रायबरेली हाल पता फेथफुलगंज बाजार (हाजिरी लेता था), बंसगोपाल निवासी कीसाखेड़ा थाना साढ़, कानपुर नगर, नमित शाह निवासी अखरी थाना नरवल, कानपुर, मानस द्विवेदी निवासी शिवाला थाना कोतवाली, कानपुर, गौरव कटियार, निवासी विजय नगर, कानपुर , अभिषेक निवासी मुजहा थाना अमृतपुर, फर्रुखाबाद, अनुज प्रताप निवासी गठवाया थाना मेरापुर, फर्रुखाबाद, जीनू यादव निवासी दुर्गाखेड़ा थाना अजगैन, उन्नाव, आनंद कुमार निवासी दुर्गाखेड़ा थाना अजगैन, उन्नाव, प्रदीप कुमार निवासी टोला माफ थाना सिसोलर हमीरपुर, बिजलाल निवासी सरसा थाना सोरावं, प्रयागराज, पवन यादव निवासी पंडित का पूरा थाना नगरा, बलिया, यासिर अराफात निवासी हरजोली झोजा थाना झबरेडा हरिद्वार, अंकुर कुमार निवासी हरजोली झोजा थाना झबरेडा हरिद्वार है।
जीआरपी और आरपीएफ टीम ने छानबीन की तो पता चला कि कुछ फर्जी कर्मचारी डायरी में ट्रेनों के कोच नंबर नोट करते मिले। पूछताछ में उन लोगों ने बताया कि हर दिन बदल-बदलकर प्लेटफार्म दिए जाते हैं, जिसमें आने वाली ट्रेनों के कोच नंबर नोट करने का काम दिया गया है। गिरफ्तार युवको ने बताया कि वह लोग ड्यूटी रात दस से सुबह छह बजे तक करते हैं। इस सम्बन्ध में सीओ जीआरपी कमरुल हसन खां के मुताबिक, रेलवे में फर्जी नौकरी दिलाने का गिरोह है। यह गिरोह बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करते हैं। टीसी के लिए पांच से पंद्रह लाख रुपये तक वसूल किए गए है। एक दो लोगों से पार्सल पोर्टर (सामान उठाने और रखने वाला) के लिए एक लाख रुपये लिए गए।
गिरफ़्तारी से बचने को छत से कूद पडा यासिर
फर्जी नियुक्ति के बाद टीसी बनाए गए युवक यासिर की तलाश में जब जीआरपी फेथफुलगंज स्थित किराये के मकान पर पहुंची तो वह भागने लगा। जीआरपी से बचने के लिए दो मंजिला मकान से छलांग लगा दी। इससे उसे गंभीर चोटें आईं। उसे इलाज के लिए केपीएम में भर्ती किया गया है। यासिर उन 16 में है, जिनके साथ ठगी हुई है।
गैंग का सरगना रूद्र हुआ फरार
छापेमारी के क्रम में इस गैंग का सरगना रूद्र प्रताप ठाकुर फरार हो गया। जीआरपी ने गैंग के सरगना रुद्र प्रताप ठाकुर की तलाश में पनकी में छापा मारा, लेकिन वह पकड़ में आने से पहले ही निकल गया। जीआरपी ने उसकी लग्जरी गाड़ी जब्त कर ली है। जांच में पता चला कि रुड़की का प्रॉपर्टी डीलर राकेश भट्ट बेरोजगारों को फंसाने का काम करता है और युवकों को रुद्र के पास भेजता था। इन दोनों के दो अन्य साथी अनुज अवस्थी और रोहित की भी तलाश की जा रही है। प्रभारी एसपी, प्रयागराज सौमित्र यादव ने बताया है कि लाखों रुपये देकर फर्जी तरह से नौकरी के झांसे में आकर ठगे गए 13 युवकों को मामले में वादी बनाया जाएगा। इसके बाद चारों फरार आरोपियों को गिरफ्तार कराकर सख्त कार्रवाई कराएंगे। पीड़ितों का प्रारंभिक पड़ताल में कोई दोष साबित नहीं हुआ है, बल्कि वे ठगे गए हैं।
जीआरपी ने एफआईआर में दिनेश कुमार गौतम, शिव नारायण त्रिपाठी उर्फ राहुल और पवन गुप्ता उर्फ रौनक पर गंभीर धाराएं लगाकर आरोपी बनाया है। ये तीनों बाकी की हाजिरी लेते थे। खुद भी फर्जी पहचान पत्र डालकर स्टेशन पर यात्रियों का टिकट चेक करते थे। सूत्रों के अनुसार ये तीनों यात्रियों से वसूली भी करते थे। जीआरपी ने इन्हें रैकेट में शामिल माना है। इस मामले में एक अन्य आरोपी ननकू नाम का बताया जा रहा है। वह करीब एक महीने से रेलवे के एक टीटीई के घर पर किराये पर रह रहा था। यह टीटीई कानपुर सेंट्रल स्टेशन के सामने रेलवे बंगले में रहता है। इसकी पत्नी भी रेलवे में ही नौकरी करती है। यूनियन में भी इसका दखल है, जिसकी वजह से इसको सपोर्ट मिलता है।
क्या है अनसुलझे सवाल
कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन पर पकडे गये युवको के पूछताछ में जो कुछ सामने आया है वह बेहद चौकाने वाला ही है। कही न कही से कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन की सुरक्षा पर एक बड़ा सवालिया निशान भी है। पुरे मामले पर अगर गौर करे तो ये सभी 16 फर्जी कर्मचारी एक सप्ताह से अधिक समय से स्टेशन पर कथित ड्यूटी दे रहे है। रात दस बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक ये सभी स्टेशन पर ही रहते थे। एक टीटी की नज़र पड़ने से मामले में इतना खुलासा हुआ। आखिर बकिया स्टाफ की नज़र क्यों नही पड़ी। पार्सल में पोर्टर पर कथित नियुक्ति पाए युवको को पार्सल हाउस में लोगो ने क्यों नही पहचाना ? आखिर एक सप्ताह तक एक नही बल्कि 16 संदिग्ध लोग स्टेशन पर स्टाफ बने टहलते रहे। उन पर पहले ही शक क्यों नही हुआ ?