श्री अर्जुन मुंडा ने वर्चुअल माध्यम से राष्ट्रव्यापी अभियान ‘कोविड टीका संग सुरक्षित वन, धन और उद्यम’ का शुभारंभ किया
ट्राइफेड व यूनिसेफ 45,000 वन धन विकास केन्द्रों के माध्यम से 50 लाख जनजातीय लोगों के बीच कोविड के टीकों के बढ़ावा देंगे
इस अभियान से जनजातीय लोगों के बीच टीकाकरण को लेकर फैली सभी भ्रांतिया दूर होंगीः अर्जुन मुंडा
केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने भारत में जनजातीय समुदाय के बीच कोविड टीकाकरण की गति को बढ़ाने के लिए आज ‘कोविड टीका संग सुरक्षित वन, धन और उद्यम’ अभियान का शुभारंभ किया। इस शुभारंभ के दौरान वर्चुअल माध्यम से इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टुडू और श्रीमती रेणुका सिंह भी उपस्थित थीं। इस शुभारंभ के दौरान अन्य गणमान्य व्यक्तियों में ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण; विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रॉड्रिको ऑफ्रिन; यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक और ट्राइफेड के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ राज्यों में ट्राइफेड व मंत्रालय के सहयोगियों ने भी भाग लिया।
श्री मुंडा ने मध्य प्रदेश के मंडला और छत्तीसगढ़ के बस्तर में फील्ड कैंप के साथ वीडयो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक-अप के माध्यम से अभियान की शुरुआत की। इस दौरान बस्तर के कलेक्टर श्री रजत बंसल और मंडला जिला की कलेक्टर श्रीमती हर्षिका सिंह ने अपने-अपने जिलों में टीकाकरण को लेकर चल रही तैयारियों के बारे में जानकारी दी।
यह अभियान, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) के 45,000 वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) की सुविधाओं का लाभ उठाएगा।
अभियान की शुरुआत करते हुए, श्री मुंडा ने कहा, ‘‘हम कोविड की दो खतरनाक लहरों से लड़ने में सक्षम रहे हैं, उनसे हमें लड़ने का अनुभव मिला है और हमारा दृढ़-संकल्प है कि हम तीसरी लहर को रोकने में कामयाब होंगे। हमें कोविड संक्रमण से मुक्त एक नए समाज के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इस अभियान के माध्यम से हमें उम्मीद है कि हम अपने वन धन विकास केंद्रों और गांवों को अपने-अपने राज्यों में पहला कोविड मुक्त और सभी प्रतिबंधों से मुक्त घोषित करने में सफल होंगे।” मंत्री महोदय ने बताया कि यह अभियान स्वयं सहायता समूहों के विस्तृत तंत्र और अन्य सामान्य संपर्क स्थानों जैसे सार्वजनिक सुविधा केंद्र, उर्वरक बिक्री केंद्र, हाट व बाजार, वन धन विकास केंद्र तथा दुग्ध संग्रह केंद्र, आदि का लाभ उठाएगा। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि जनजातीय समुदायों को महामारी के दौरान न केवल सुरक्षित और स्वस्थ रहना चाहिए बल्कि अपनी आजीविका संबंधी गतिविधियों को जारी रखने में भी सक्षम होना चाहिए, यही इस अभियान का उद्देश्य है।
मंत्री महोदय ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि तीसरी लहर जनजातीय क्षेत्रों को प्रभावित न करे, जनजातीय लोगों का टीकाकरण करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
श्री अर्जुन मुंडा ने आगे बताया कि यह अभियान कोरोनावायरस टीके के खिलाफ इंफोडेमिक को मात देने में मदद करेगा जैसे कि मिथक, अफवाह, गलत धारणा व गलत जानकारी। ‘कोविड टीका संग सुरक्षित वन, धन और उद्यम’ अभियान आश्वासन, गौरव, आत्म-दक्षता पर केंद्रित है। श्री मुंडा ने कहा कि यह जनजातीय क्षेत्रों में ‘स्वास्थ्य के साथ आजीविका’ को बढ़ावा देता है, वीडीवीके की गतिविधियों को गति प्रदान करता है और हथकरघा, हस्तशिल्प और वन उत्पादों की खरीद, मूल्यवर्धन और विपणन में लगे जनजातीय लोगों के बीच कोविड टीकाकरण की गति को तेज करता है।
इस अवसर पर श्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि पिछले वर्ष कोविड-19 लॉकडाउन के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के कारण कई स्थानों पर जनजातीय समुदायों के लोग जंगलों तक नहीं पहुंच पा रहे थे जो उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। हालांकि ट्राइफेड की वन धन योजना ने जनजातीय समुदाय का खास ध्यान रखा। अब ट्राइफेड एक नया अभियान “कोविड टीका संग सुरक्षित वन, धन और उद्यम” शुरू कर रहा है ताकि आदिवासी लोगों के बीच टीकाकरण से संबंधित सभी गलत धारणाओं को दूर किया जा सके और उन्हें खुद को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जा सके ताकि उन्हें भविष्य में नुकसान न उठाना पड़े।
श्रीमती रेणुका सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज कोरोना से बचाव के लिए शत-प्रतिशत टीकाकरण की जरूरत है। इसलिए जीवन बचाने के लिए, जीविकोपार्जन के लिए और कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए, देश भर में 10.5 करोड़ जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए ट्राइफेड द्वारा जनजातीय मंत्रालय के तहत “कोविड टीका संग सुरक्षित वन, धन और उद्यम” अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान जनजातीय लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने कहा, “कोविड-19 ने जनजातीय क्षेत्रों में स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के मुद्दों को और अधिक बढ़ा दिया है जिससे लोग अधिक असुरक्षित हो गए हैं। यह अभियान बच्चों के जीवन, बढ़ोत्तरी और विकास के लिए यूनिसेफ के इक्विटी दृष्टिकोण के समरूप है। हमें इस अभियान से जुड़ने पर गर्व है, जो ‘वैक्सीन इक्विटी’पर ध्यान केंद्रित करता है और हमें उन समुदायों से जोड़ता है जो जोखिमों को झेलने के लिए पीछे छूट गए हैं।”
डब्ल्यूएचओ के भारत प्रतिनिधि, डॉ. रॉड्रिको ऑफ्रिन ने कहा कि वैक्सीन कोविड वायरस से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है और किसी भी टीकाकरण अभियान का फोकस लोगों तक पहुंचना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीकाकरण अभियान की सफलता में संचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह बहुत उपयुक्त है कि आज जनजातीय समुदायों के लिए इस तरह का जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
यह अभियान यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की साझेदारी में शुरू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य 50 लाख से अधिक जनजातीय लोगों को कोविड टीकाकरण अभियान से जोड़ना है। कोविड का टीका निःशुल्क है, आसपास के केंद्रों में उपलब्ध है तथा यह न केवल लोगों को अस्पताल में भर्ती होने और मरने से बचाता है, बल्कि आजीविका गतिविधियों को भी जारी रखने में मदद करता है।
इस अभियान के तहत मुख्यतः तीन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा –
⦁ जीवन – हर एक जीवन और जीविका कीमती है, इसलिए टीकाकरण जीवन की कुंजी है और यह निःशुल्क है।
⦁ जीविका – यदि आपको टीका लग गया है तो आप संक्रमित होने के डर के बिना अपने वन धन विकास केंद्र और आजीविका संबंधी गतिविधियों को जारी रख सकते हैं। यह आपको अस्पताल में भर्ती होने और अन्य आकस्मिक खर्चों से भी बचाता है।
⦁ जागरूकता – टीकाकरण के लिए पंजीकरण, स्थान, विभिन्न वर्गों तथा आयु के लोग, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्ग आबादी तक पहुंच की प्रक्रिया का सरलीकरण। वन धन विकास केंद्र अन्य हितधारकों के सहयोग से ‘सेवा ही कर्तव्य है’ तथा कोरोना मुक्त पंचायत व गांव बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है, के सिद्धांत और समर्पण व प्रतिबद्धता के साथ काम करते हैं।
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यह अभियान स्वयं सहायता समूहों के विस्तृत तंत्र और अन्य सामान्य संपर्क स्थानों जैसे सार्वजनिक सुविधा केंद्र, उर्वरक बिक्री केंद्र, हाट व बाजार, वन धन विकास केंद्र तथा दुग्ध संग्रह केंद्र, आदि का लाभ उठाएगा और टीके लगवाने व कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए दीवारों पर जनजातीय भित्ति चित्रों तथा मोटिफ्स का उपयोग करेगा।
यह अभियान गैर-पारंपरिक भागीदारी और सामुदायिक पहुंच का उपयोग लामबंदी और सामूहिक कार्रवाई के लिए करेगा जैसे कि तड़वी/पटेल, विश्वास आधारित चिकित्सक जैसे पारंपरिक मुखियाओं की भागीदारी तथा स्थानीय स्वास्थ्य संरचनाओं और कोविड योद्धाओं के माध्यम से टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना।
इस अवसर पर श्री मुंडा ने ट्राइफेड के डिजिटल कनैक्ट कार्यक्रम के तहत तैयार की गई नई डिजिटल डायरेक्टरी का भी लोकार्पण किया। ट्राइफेड ने एक डिजिटल कनैक्ट कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत वन धन विकास योजना और ट्राइफेड के खुदरा संचालन से जुड़े सभी जनजातीय लाभार्थियों के साथ दोतरफा संचार प्रक्रिया स्थापित करने का प्रस्ताव है। इनके अलावा, ट्राइफेड की गतिविधियों में रुचि रखने वाले अन्य हितधारकों को भी ट्राइफेड की योजनाओं और गतिविधियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें जनजातीय समुदाय की इन आजीविका सृजन पहलों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करने के लिए शामिल किया जा रहा है। माननीय मंत्री जी द्वारा आज इसके लोकर्पण के साथ इस प्रकार की सभी जानकारी लिए हुए यह डायरेक्टरी अब तैयार है, जो डिजिटल कनैक्ट कार्यक्रम के शुभारंभ का संकेत है।
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