केंद्र सरकार में अब 8वें वेतन आयोग के गठन पर रार मची है। पिछले दिनों केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा था, सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है। इसके बाद केंद्रीय कर्मचारी संगठन, सक्रिय हो गए। पहले तो ‘अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा, केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित न करने का फैसला, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन होगा। दूसरी तरफ आठ दिसंबर को कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख दिया है। इसमें उन्होंने आग्रह किया है कि मौजूदा परिस्थितियों में बिना किसी विलंब के आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए।
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने अपने पत्र में लिखा है, यह आठवें वेतन आयोग के गठन का सही समय है। केंद्र सरकार के कर्मचारी, सरकार की रीढ़ की तरह काम करते हैं। ये कर्मचारी, सरकार की नीतियों को आम जन तक पहुंचाने का काम पूरी तन्मयता से करते हैं। केंद्र सरकार में पिछली बार 2016 में वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गई थीं। इसके बाद देश में कोविड संक्रमण हुआ। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को भारी इजाफा देखा गया। प्रोडेक्शन इंडस्ट्री, निर्माण और स्वास्थ्य सेक्टर में भी तेजी देखने को मिली। ब्याज की ऊंची दरें भी सरकारी कर्मियों के लिए मुसीबत का सबब बनीं। महंगाई दर भी औसतन 4 से 7 फीसदी के बीच रही है।
यादव ने अपने पत्र में पांचवें और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का भी जिक्र किया है। दस साल की अवधि पर वेतन आयोग का गठन होना चाहिए। साथ ही डीए/डीआर की दर अगर पचास फीसदी के पार हो जाती है, तो वेतन भत्तों में बदलाव होता है। इससे पहले गठित हुए वेतन आयोगों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में करीब दो वर्ष का समय लिया है। इसके बाद सरकार भी रिपोर्ट को लागू करने में छह माह का समय ले लेती है। कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि मौजूदा परिस्थितियों में बिना किसी विलंब के आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। उन्होंने अपने पत्र में छठे वेतन आयोग के पैरा 1.1.4 का हवाला भी दिया है।
राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान किया
सातवें वेतन आयोग का गठन 2013 में हुआ था। केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के कर्मचारियों और राज्य कर्मियों पर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे में आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाना जरूरी है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा है, केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित न करने का फैसला, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन होगा। केंद्र एवं राज्यों के लाखों सरकारी कर्मचारी, सड़कों पर उतरेंगे। महासंघ की 28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अन्य कर्मचारी संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान किया जाएगा।
2013 में गठित हुआ 7वां वेतन आयोग
बतौर सुभाष लांबा, केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का यह बयान इशारा करता है कि 48.67 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों के लिए सरकार के एजेंडे में आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है। इस बयान से केंद्रीय एवं राज्य कर्मियों एवं पेंशनर्स को तगड़ा झटका लगा है। उनमें आक्रोश व्याप्त है। वेतन आयोग से देश के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को उनके वेतन, पेंशन और भत्तों में कुछ बढ़ोतरी होने की उम्मीद बनी रहती है। केंद्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों और राज्य सरकार के कर्मियों पर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। पिछला वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था, जबकि इसकी सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं।
नेशनल काउंसिल की बैठक में 600 डेलीगेट्स
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की 28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक में केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अन्य कर्मचारी संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान होगा। नेशनल काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों से करीब 600 डेलीगेट्स भाग लेंगे। महासचिव ए श्रीकुमार ने बताया, कर्मचारियों ने आंदोलन के दम पर हर दस साल बाद वेतनमान व पेंशन में संशोधन के लिए वेतन आयोग के गठन का प्रावधान कराया था। अब तक सात केंद्रीय वेतन आयोगों का गठन हुआ है। केंद्र सरकार ने इनकी सिफारिशों को केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर लागू किया है। जब केंद्र सरकार, वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करती है, तो उसके बाद राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर उक्त सिफारिशों को लागू करती हैं।
एनपीएस में कोई संशोधन मंजूर नहीं
केंद्र सरकार द्वारा आठवां वेतन आयोग गठित करने से इनकार करने के बाद राज्य कर्मियों का रास्ता अपने आप बंद हो गया है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 48.67 केंद्रीय कर्मचारी और 67.95 लाख पेंशन भोगी हैं। इससे ज्यादा राज्य सरकारों और पीएसयू के कर्मचारी एवं पेंशनर्स हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया, वित्त सचिव के बयान के अनुसार, केंद्र सरकार एनपीएस में कुछ संशोधन करने जा रही है। सरकार ने पेंशन प्रणाली की समीक्षा के लिए वित्त सचिव के नेतृत्व में समिति का गठन किया था। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना है, हमने सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श पूरा कर लिया है। हमारी रिपोर्ट जल्द ही दाखिल हो जाएगी। लांबा ने दो टूक शब्दों में कहा, कर्मचारियों को एनपीएस में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं है।