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Ruchita Dhiman:कॉरपोरेट में सब एक दूसरे को गिराने में लगे रहते हैं, रंगमंच सबको कुछ नया रचने की सीख देता है – Ruchita Dhiman From Australia Speaks To Pankaj Shukla About Her Experience Of Theatre Jyotsna Sharma

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ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स के सरकारी शिक्षा विभाग में सलाहकार के तौर कार्यरत रुचिता धीमन को सपने में भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि वह किसी दिन खुद को रंगमंच पर पाएंगी और वह भी हिंदी सिने जगत के मशहूर अभिनेता शिशिर शर्मा के साथ। भारतीय मूल की रंगमंच निर्देशक ज्योत्सना शर्मा की जरा सी हौसला अफजाई ने रुचिता धीमन के जीवन में एक नए उत्साह, एक नए हौसले और एक नई सकारात्मकता का संचार कर दिया है। अपने माता-पिता से मिलने मुंबई आईं रुचिता कहती हैं, ‘रंगमंच किसी भी इंसान को हमेशा हमेशा के लिए बदल सकता है।’




पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रहीं रुचिता बीते दो दशक से भी ज्यादा समय से ऑस्ट्रेलिया में रह रही हैं। वही पढ़ीं, वहीं शादी की और वहीं नौकरी भी। फिर एक दिन उन्हें सोशल मीडिया पर एक सूचना दिखी जिसमें एक ड्रामा क्लास में शामिल होने का आमंत्रण था। रुचिता बताती हैं, ‘ये सितंबर की बात है। ये सूचना देखने के बाद मैंने बिना कुछ सोचे विचारे इसमें हिस्सा लेने का फैसला किया। इस दौरान जो प्रशिक्षण मुझे मिला, उसकी परिणति हुई लीक से हटकर बने और एक बहुत हास्यमयी नायक ‘मैनस्ट्रुएशन’ में। एक नाटक में अभिनय के रूप में ये जो यात्रा शुरू हुई, वह दरअसल विकास का एक ऐसा उत्प्रेरक बन गई जिसके बाद मुझे ये समझ आया कि हम उन्हीं सारे बंधनों में बंधे रहते हैं जिनसे हम खुद ही अपने आपको चारों तरफ से जकड़े रहते हैं।’


पुरुषों की यौन शिक्षा के बारे में रचे गए इस नाटक के बारे में रुचिता बताती हैं, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन रंगमंच पर पुरुषों के मासिक धर्म, मैनोपॉज या समयपूर्व स्खलन के बारे में चर्चा करती दिखूंगी। नाटक के संवाद बहुत ही रहस्यमयी थे, विवादास्पद भी हो सकते थे लेकिन इन्हें लिखा इतनी खूबसूरती से गया था कि ये अपना संदेश बहुत ही शिष्टता और सुंदरता से प्रेषित करने में सफल रहे। मेरा करीब 12 मिनट का मोनोलॉग था और शुरुआती हिचक के बाद मैंने नाटक के तीनों शोज में सैकड़ों दर्शकों के सामने इसे सरलता से प्रस्तुत किया।’


रंगमंच के इस अनुभव के विस्तार में जाते हुए रुचिता बताती हैं, ‘हम जिस कॉरपोरेट दुनिया से रोज दो चार होते हैं, वहां एक सच्चे इंसान की अधिकतर ऊर्जा उन नकारात्मक शक्तियों से लड़ने में खर्च होती रहती है जो किसी को भी आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते। लेकिन, रंगमंच इसके ठीक विपरीत है। इसमें एक दूसरे को न पहचानने वाले, न जानने वाले लोग भी एक साथ आते हैं और किसी एक उद्देश्य को उसके शीर्ष तक ले जाने का सामूहिक जतन करते हैं। मेरे जीवन का और इस साल का ये सबसे बेहतरीन अनुभव रहा।’


इस नाटक में रुचिता के किरदार का नाम सुसी है। और, रंगमंच के इस अनुभव के बाद उन्हें लगता है कि इंसान अपनी एक उस पहचान के साथ भी लोगों के सामने आ सकता है जिसकी छवि की उसे चिंता करने की कतई जरूरत नहीं है। रुचिता कहती हैं, ‘सुसी मेरे लिए सिर्फ एक नाम भर नहीं रह गया। वह मेरी पथप्रदर्शक बन गई और उसके सहारे ही मैंने वह साहस और करिश्मा हासिल किया जो मुझे इस किरदार को निभाने के लिए चाहिए था।’ इस नाटक में हिस्सा लेने के लिए भारत से चर्चित अभिनेता शिशिर शर्मा भी ऑस्ट्रेलिया गए हुए थे।


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Mohd Aman

Editor in Chief Approved by Indian Government

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