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भारत के समुद्री इतिहास में अब तक के सबसे बड़े जहाज तथा स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का कुछ ही देर में प्रधानमंत्री मोदी जलावतरण करेंगे. वहीं भारतीय नौसेना को आज नया एन्साइन (निशान) दिया गया है, जो कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से लिया गया है. शिवाजी महाराज को भारतीय नौसेना का जनक भी कहा जाता है.
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आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा.
युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है. विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे.
भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक के ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
विक्रांत का अर्थ विजयी और वीर होता है. 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है. जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं.
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