News

Jharkhand: Preparations To Send Ruling MLAs To Bengal Or Chhattisgarh If Needed, Hindi News – झारखंड : जरूरत पड़ने पर सत्तारूढ़ विधायकों को बंगाल या छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी

[ad_1]

झारखंड : जरूरत पड़ने पर सत्तारूढ़ विधायकों को बंगाल या छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी

निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को बेंच को एक याचिका पर अपनी राय भेजी थी. 

रांची:

झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के एक विधायक के रूप में भविष्य को लेकर बनी अनिश्चितता के चलते झारखंड में गहराते राजनीतिक संकट के बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘खरीद फरोख्त’ के प्रयासों से बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ जैसे ‘‘मित्र राज्यों” में भेजने की तैयारी की जा रही है. कई सूत्रों ने इसकी पुष्टि की. यह घटनाक्रम झारखंड में उपजे राजनीतिक संकट की स्थिति के मद्देनजर आया है, जहां सोरेन के एक विधायक के तौर पर ‘‘अयोग्य” होने का खतरा पैदा हो गया है. वहीं, उभरते परिदृश्य से निपटने के लिए रणनीतिक तैयारी के मद्देनजर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक का तीसरा दौर मुख्यमंत्री आवास में जारी है.

यह भी पढ़ें

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी विधायक अपने-अपने सामान के साथ बैठक में शामिल हैं.राजभवन सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल रमेश बैस शनिवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को विधायक के रूप में सोरेन की अयोग्यता का आदेश भेज सकते हैं. कांग्रेस के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमारे गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल में ठहराने की सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं, दोनों राज्यों में गैर-भाजपा सरकारें हैं. तीन लग्जरी बसें विधायकों और सुरक्षाकर्मियों को सड़क मार्ग से पहुंचाने के लिए रांची पहुंच गई हैं. उनकी सुरक्षा में भी कुछ वाहन भी होंगे.”

सूत्र ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बरमूडा और रायपुर सहित तीन स्थानों और पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों की पहचान की गई है. एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘‘जरूरत पड़ने पर सत्तारूढ़ पक्ष के सभी विधायकों को एक ही स्थान पर भेजा जाएगा. सभी विधायक अपना सामान लेकर मुख्यमंत्री आवास पर महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने आए हैं.”झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के एक सूत्र ने कहा कि विधायकों को झारखंड से बाहर ले जाने का विकल्प खुला है और सभी तैयारियां कर ली गई हैं लेकिन अंतिम फैसला राज्यपाल द्वारा अयोग्यता आदेश भेजे जाने के बाद ही लिया जाएगा.

पार्टी सूत्रों ने कहा कि तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में संख्याबल को बरकरार रखने के लिए विधायकों को ‘रिजॉर्ट भेजने की राजनीति’ समय की मांग है. झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में एक महत्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, बिहार या छत्तीसगढ़ जैसे ‘‘मित्र राज्य” में एक रिसॉर्ट में विधायकों को रखा जाएगा ताकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ‘खरीद फरोख्त’ के प्रयासों से बचाया जा सके.

हालांकि, उन्होंने कहा कि सोरेन को विधायक के रूप में संभावित रूप से अयोग्य ठहराने पर निर्वाचन आयोग की राय के बारे में राज्यपाल द्वारा उन्हें सूचित करने के बाद भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लिया जा सकता है. इस बीच, गोड्डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया, ‘‘झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्रों के अनुसार, कुछ विधायक देर रात दो बजे छत्तीसगढ़ पहुंचे. अधिकांश विधायक जाने से हिचक रहे हैं और झामुमो के वरिष्ठ नेता बसंत सोरेन के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. कुछ बसें विधायकों के लिए रांची में खड़ी हैं.” दुबे अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं.

निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को बेंच को एक याचिका पर अपनी राय भेजी थी, जिसमें सोरेन द्वारा खुद को एक खनन पट्टा आवंटित करके चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी. ग्रामीण विकास और संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने शुक्रवार को कहा था कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को कोई ‘खरीद फरोख्त’ के जाल में नहीं फंसा सकता है और वे रांची में रहेंगे.

एक अन्य मंत्री, मिथिलेश ठाकुर ने दावा किया था कि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास ‘‘50 विधायकों का जादुई आंकड़ा है, जो 56 तक जा सकता है.” ठाकुर ने कहा कि उन्होंने यह सब (विधायकों को रिजॉर्ट भेजने की राजनीति) भाजपा से सीखा है. मामले में याचिकाकर्ता भाजपा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा नौ (ए) का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है. यह अधिनियम सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है. इस मुद्दे को राज्यपाल को भेजा गया जिन्होंने उसे बाद में निर्वाचन आयोग को राय के लिए भेज दिया, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 में कहा गया है कि एक विधायक की अयोग्यता पर फैसला करने संबंधी मामला पहले राज्यपाल को भेजा जाएगा जो ‘‘निर्वाचन आयोग की राय प्राप्त करेंगे और उस राय के अनुसार कार्य करेंगे.’


 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

[ad_2]

Mohd Aman

Editor in Chief Approved by Indian Government

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button