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उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित ट्विन टावर को रविवार को ध्वस्त कर दिया गया. दोपहर में ठीक 2:30 बजे विस्फोट किया गया, जिसके बाद नौ सेंकेंड के भीतर 40 मंजिला इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं. वहीं, इमारत के टूटते ही धूल का गुबार उठा, जो पूरे मोहल्ले में फैल गया.
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दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था, जिसके बाद इन्हें ढहाने का काम किया गया.
ट्विन टावर की दो सबसे नजदीकी सोसायटी-एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के 5,000 से अधिक निवासियों और उनके 150 से 200 पालतू जानवरों को रविवार सुबह सात बजे तक वहां से निकाल दिया गया था. दोनों परिसरों से लगभग तीन हजार वाहन भी हटा दिए गए थे.
एडफिस इंजीनियरिंग को लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से ढहाने का जिम्मा सौंपा गया था. कंपनी ने इस जोखिम भरे काम के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स से हाथ मिलाया था. उसे दोनों टावर को कुछ इस तरह से गिराना था कि महज नौ मीटर की दूरी पर स्थित आवासीय इमारतों को कोई नुकसान न पहुंचे.
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