श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी ने संरक्षण अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि पीड़ितों की पहुंच उनके लिए उपलब्ध सभी कानूनी अधिकारों तक हो
एनसीडब्ल्यू ने एलबीएसएनएए के सहयोग से घरेलू हिंसा के मामलों को निपटाने को लेकर संरक्षण अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की
घरेलू हिंसा की पीड़ितों की मदद को लेकर सुरक्षा अधिकारियों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट सीरीज शुरू की। यह घरेलू हिंसा के मामलों से निपटने के लिए संरक्षण अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा, लोक रंजन, निदेशक एलबीएसएनएए और चेयरपर्सन, नेशनल जेंडर एंड चाइल्ड सेंटर तथा श्रीमती दिशा पन्नू ने वर्चुअल रूप से हिस्सा लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिस, कानूनी सहायता सेवाओं, स्वास्थ्य प्रणाली, सेवा प्रदाताओं, आश्रय सेवाओं, वन स्टॉप सेंटर आदि सहित अधिनियम के तहत विभिन्न हितधारकों/सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है।
श्रीमती स्मृति इरानी ने अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रीय महिला आयोग की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिलाओं के लिए प्रशासन और न्याय के बीच की खाई को पाटते हैं और यह उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि पीड़ितों की पहुंच उनके लिए उपलब्ध सभी कानूनी अधिकारों तक हो। केंद्रीय मंत्री ने महामारी के दौरान महिलाओं की मदद करने के लिए 24/7 काम करने के लिए एनसीडब्ल्यू नेतृत्व को बधाई दी। उन्होंने आयोग द्वारा शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों जैसे गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्पलाइन और सुरक्षा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की वर्तमान पहल की सराहना की।
अपने संबोधन में एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने संरक्षण अधिकारियों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला, जो पीड़ित महिला और अदालत के बीच सुविधा प्रदान करने वाले की भूमिका में होते हैं। उन्होंने कहा कि संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिला को राहत प्राप्त करने के लिए शिकायत दर्ज कराने और मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करने के अलावा चिकित्सकीय सहायता, कानूनी सहायता, परामर्श, सुरक्षित आश्रय और अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रशिक्षण सत्रों में प्रतिभागियों में अधिनियम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए कानूनी प्रणाली, सुरक्षा अधिकारियों की भूमिका और अन्य हितधारकों के साथ परस्पर संबंध को लेकर समझ विकसित होगी। यह प्रशिक्षण रूढ़िवादी मानसिकता को भी बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगा और घरेलू हिंसा का पीड़ितों और उनके बच्चों पर प्रभाव को समझेगा।
28 जून से 2 जुलाई तक चलने वाला पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम उन कार्यशालाओं की श्रृंखला में पहला है, जो आगे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल इन तीन राज्यों के संरक्षण अधिकारियों के लिए आयोजित किए जाएंगे। महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षण ऑनलाइन रखा गया है।
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